फूलों के रंग से दिल की कलम से तुज़को लिखी रोज़ पाती , न जाने कहा हो तुम , तुम्हारी याद , और यह तन्हाई न जाने कब इस रूह की साथ छोड़ेगी। दिल की बातों को जुबा पे लाना होता है बहुत कठिन।
प्यार करना तो आसान पर निभाना है कठिन। मिलते नहीं है लोग दिल लगाने वाले। मिलते है लोग सौदा करने वाले। किशोरी जी के दर्द भरे इस गाने को जब भी मैं सुनता हूँ दिल भर आता है जुबा नम हो जाती है। बदलते हुए प्यार की परिभाषाये देखकर दिल मैं आंधी उठती है। बदलना ज़माने का उसूल है प्यार का नहीं।
इसलिए छोटा सफर हो लम्बा सफर हो सूनी डगर हो या मेला , याद तू आये मन हो जाये भीड़ के बीच अकेला।
जरूर सुनियेगा किशोरी जी के आवाज मैं , फूलों के रंग से,,,,,,,,
Image Source : WikiPedia
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